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रविवार, 12 अक्तूबर 2014

राकेश बिहारी की कहानी 'किनारे से दूर' (आवाज़ ममता सिंह की)

"
'कॉफी-हाउस' में हम हर सप्‍ताह रविवार को एक कहानी का वाचन लेकर आते हैं।

आज हम लेकर आए हैं युवा कथाकार और आलोचक राकेश बिहारी की एक कहानी।
राकेश बिहारी की प्रकाशित पुस्‍तकें हैं --'वह सपने बेचता था' (कहानी संग्रह) और 'केंद्र में कहानी' (आलोचना)।

प्रस्‍तुत कहानी जबलपुर के भेड़ाघाट की सैर पर केंद्रित है। पर सिर्फ भेड़ाघाट की सैर नहीं है, कहानी तमाम किरदारों के मन की पड़ताल भी करती है। पारिवारिक जिंदगी की भीतरी परतों को उजागर भी करती है। ज़ाहिर है कि इस कहानी के ज़रिये आप भेड़ाघाट तो घूमेंगे ही....एक कहानी को भी जियेंगे। कहानी को सुनने के लिए आपको अपने व्‍यस्‍त जीवन में से उन्‍नीस मिनिट निकालने होंगे।
इस कहानी की प्रस्‍तुति के साथ ही राकेश जी को जन्‍मदिन की बधाई भी प्रेषित है।

Story: Kinare se door
Writer: Rakesh Bihari
Voice: Mamta Singh
Duration: 18 36



एक और प्‍लेयर ताकि सनद रहे।




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तो अब मिलते हैं अगले रविवार। आपकी प्रतिक्रियाओं का स्‍वागत।

ये भी कह दें कि 'कॉफी-हाउस' की कहानियों को आप डाउनलोड करके अपने मित्रों-आत्‍मीयों के साथ बांट सकते हैं। साझा कर सकते हैं। कोई समस्‍या है तो ये ट्यूटोरियल पढ़ें

अब तक की कहानियों की सूची- 
महादेवी वर्मा की रचना--'गिल्‍लू'
भीष्‍म साहनी की कहानी--'चीफ़ की दावत'
मन्‍नू भंडारी की कहानी-'सयानी बुआ'
एंतोन चेखव की कहानी- 'एक छोटा-सा मज़ाक़'
सियाराम शरण गुप्‍त की कहानी-- 'काकी'
हरिशंकर परसाई की रचना--'चिरऊ महाराज'
सुधा अरोड़ा की कहानी--'एक औरत तीन बटा चार'
सत्‍यजीत रे की कहानी--'सहपाठी'
जयशंकर प्रसाद की कहानी--'ममता'
दो बाल कहानियां--बड़े भैया के स्‍वर में
उषा प्रियंवदा की कहानी वापसी
अमरकांत की कहानी 'दोपहर का भोजन'
ओ. हेनरी की कहानी 'आखिरी पत्‍ता'
लू शुन की कहानी आखिरी बातचीत'
प्रत्‍यक्षा की कहानी 'बलमवा तुम क्‍या जानो प्रीत'
अज्ञेय की कहानी 'गैंगरीन'
महादेवी वर्मा का संस्‍मरण 'सोना हिरणा'
ओमा शर्मा की कहानी ग्‍लोबलाइज़ेशन
ममता कालिया की कहानी 
लैला मजनूं
प्रेमचंद की कहानी 'बड़े भाई साहब'
सूरज प्रकाश की कहानी 'दो जीवन समांतर'
कुमार अंबुज की कहानी 'एक दिन मन्‍ना डे'
अमृता प्रीतम की कहानी- 'एक जीवी, एक रत्‍नी, एक सपना'
जादू की सुनाई पापा की कहानी 'बादल भाई'
उदय प्रकाश की कहानी-'नेलकटर'
सूर्यबाला की कहानी 'दादी और रिमोट'
एस. आर. हरनोट की कहानी 'मोबाइल'
स्‍वयं प्रकाश की कहानी 'नीलकांत का सफर'
जादू की कहानी 'बदमाश कौआ'
प्रेमचंद गांधी की कहानी--'31 दिसंबर की रात''
रवींद्र कालिया की कहानी- 'गोरैया'।
अरविंद की कहानी 'रेडियो'
लक्ष्‍मी शर्मा की कहानी 'बातें'
हरिशंकर परसाई का व्‍यंग्‍य 'ठिठुरता हुआ गणतंत्र'
चंदन पांडे की कहानी 'मोहर'
कैलाश वानखेड़े की कहानी 'सत्‍यापित'
विभा रानी की कहानी 'मोहन जोदाड़ो की नंगी मूरत'
अमरकांत की कहानी 'पलाश के फूल'
उपेंद्रनाथ अश्‍क की कहानी 'डाची'।
ज्ञानरंजन की कहानी 'अमरूद का पेड़'
कुर्रतुल-ऐन-हैदर की कहानी- 'फोटोग्राफर' 
शशिभूषण द्विवेदी की कहानी --'छुट्टी का दिन' 
मनीषा कुलश्रेष्‍ठ की कहानी 'मौसम के मकान सूने हैं'
प्रभात रंजन की कहानी -'पत्र लेखक, साहित्‍य और खिड़की'
गुलज़ार की कहानी 'तकसीम'
गैब्रिएल गार्सिया मार्केज़ की दो कहानियां 'गांव में कुछ बहुत बुरा होने वाला है' और 'ऐसे ही किसी दिन' 
गीताश्री की कहानी ''लबरी' 
हृदयेश की कहानी 'तोते' 
मधु अरोड़ा की कहानी 'मुक्ति'
तरूण भटनागर की कहानी 'ढिबरियों की क़ब्रगाह'
जगदंबा प्रसाद दीक्षित की कहानी 'मुहब्‍बत'
मंटो की कहानी 'टोबा टेकसिंह'
स्‍वाति तिवारी की कहानी 'बूंद गुलाब जल की'
मन्‍नू भंडारी की कहानी 'मुक्ति'
हरि भटनागर की कहानी 'ग्रामोफ़ोन' 
हुस्‍न तबस्‍सुम निहां की कहानी 'नीले पंखों वाली लड़कियां'
दुष्‍यंत की कहानी 'यार तुम भी बस' 
ग़ज़ाल ज़ैगम की कहानी 'नमस्‍ते बुआ' 
कविता राकेश की कहानी 'ज़ायका'।
संजय बोरूंडे की कहानी 'कुंआं' 
प्रेम भारद्वाज की कहानी 'प्‍लीज़ किल मी मम्‍मी' 
जयश्री राय की कहानी 'छुट्टी का दिन' 
रघुनंदन त्रिवेदी की कहानी 'सिफैलोटस'
शानी की कहानी 'जली हुई रस्‍सी'
नन्‍हे जादू की आवाज़ में कहानी 'लापरवाह पिंटू'
सत्‍यनारायण पटेल की कहानी 'पर पाज़ेब ना भीगे' 
हरिशंकर परसाई का संस्‍मरण 'मुक्तिबोध' 
गोविंद मिश्र की कहानी 'लोबो' 
श्रीकांत दुबे की कहानी 'दहन' 
वंदना शुक्‍ल की कहानी 'ईद मुबारक' 

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वंदना शुक्‍ल की कहानी 'ईद मुबारक' 

1 टिप्पणियाँ:

  1. वाह !

    क्या तो शब्दचित्रण और क्या ही ध्वनिचित्रण !!

    हम तो कायल हो गये दोनों के !

    बच्ची की ऐसी स्वाभाविक आवाज़ तो कोई छोटी बच्ची ही निकाल सकती है !

    भेड़ाघाट की असल सैर भी अधूरी है बिना इस कहानी को सुने !

    कमाल का कथा-पाठ !!!

    बधाई हमारी तरफ़ से भी -

    रेडियोसखी जी को इतने अच्छे वाचन के लिये......

    ......और राकेश जी को उनके जन्मदिन के साथ ही इतने अच्छे लेखन के लिये भी !

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